Saturday, January 23, 2010

कविता-संग्रहः अनुभूतियाँ- दीपक चौरसिया 'मशाल'

'अनुभूतियाँ' दीपक चौरसिया 'मशाल' का काव्य-संग्रह- अनुभूतिओं का दस्तावेज़ है। एक-एक अहसास कदम-दर-कदम हमें बहुत कुछ सोचने पर विवश करता है। कवि का परिवेशीय व्यक्तित्व उसकी कलम की आत्मा है। जीवन के हर रंग रचनाओं में दृष्टिगत हैं।

दीपक मशाल की पहली कविता 'आज भी' दिन भर फिरकनी सी खटती माँ का बहुमूल्य सार है, कई माओं के चेहरे जीवंत हो उठते हैं।

कई प्रतीक्षित पार्थ की आँखों के दर्द को बखूबी उकेरते हुए पूछा है 'हल्का क्यों है सच का पलड़ा?' कृष्ण का आह्वान कलम की पूर्णता है। सोच में हर बात से अलग ब्रह्माण्ड की सोच नयी बातों का सिरा है, जिसे पकड़कर हम बहुत कुछ सोचने को बाध्य होते हैं। उम्र के २९वें पड़ाव तक पहुँचते हुए कवि कई अनुभूतियों से गुज़रा हुआ मिलता है, ये कहते हुए कि-

'कृष्ण बनने की कोशिश में
मैं भीष्म होता जा रहा हूँ,
अक्सर चाहता हूँ वसंत होना
जाने क्यों ग्रीष्म होता जा रहा हूँ!'

देश की स्थिति को उजागर करते हुए भाव दिल को झकझोरते हैं-

'बापू तेरी सच्चाई की बोली
कब लगनी है?
बापू तेरे आदर्शों की बोली
कब लगनी है?'
हारे
हुए हालातों को कवि खुले द्वार देता है..

पूरे संग्रह का एक पक्ष बहुत ही गंभीर और प्रशंसनीय है.........'छोटी बऊ(दादी)' का चित्रण, जो कि कवि के ही शब्दों में ही 'एक अतुलनीय प्रेम का प्रतिष्ठापन है', जो उनकी काकी दादी को सम्मान देता है।

--रश्मि प्रभा

मुद्रित मूल्य- रु 250
हिन्द-युग्म के पाठकों के लिए- रु 125

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4 पुस्तकप्रेमियों का कहना है कि :

Unknown का कहना है कि -

bus deepk ji ney apni rachnayo k jary ek amm insan ki baatey batei hey jo hamherijasi mhilay nahi khey pati hey. verry ;;;;;;;;;;;;thanks.

Anonymous का कहना है कि -

i vry much glad to say that this ANUBHUTIYAN shows the essence of life relates to every1's somehow..i like the all d poems ..............in all these i like the MAA & WO AATANKWAAD........most
i m vry thankful to God to gv me DEEPAK CHOURASIA'MASHAL'AS MY BROTHER
THANK U gOD

Anonymous का कहना है कि -

i vry much glad to say that this ANUBHUTIYAN shows the essence of life relates to every1's somehow..i like the all d poems ..............in all these i like the MAA & WO AATANKWAAD........most
i m vry thankful to God to gv me DEEPAK CHOURASIA'MASHAL'AS MY BROTHER
THANK U gOD n i love my brother

RAhul CHOuraSia.

Dr. Akhilesk Kumar का कहना है कि -

"Kyon hai halka sach ka palda" is the best poem ever i read in my life. Poet has put his thought in such a way that every reader will think that it is written on him.
It is rare to get such poem which is so practical and touchy..Another poems are also good.

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