Friday, November 20, 2009

कविता-संग्रह : नदी पुकारे सागर - सरस्वती प्रसाद

वयोवृद्ध कवयित्री सरस्वती प्रसाद दीर्घकाल से रचनाकर्म में संलग्न है। वर्ष 2001 में इनका एक काव्य-संकलन 'नदी पुकारे सागर' प्रकाशित हुआ, जो काव्यप्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ। इसकी भूमका का समापन करते हुए सरस्वती लिखती हैं-

शून्य भिति पर गई उकेरी
काल की चारु कृतियाँ थीं,
नहीं थी वे इतिहास शिल्प
सहचरी मेरी स्मृतियाँ थीं.
मति चल न सकी बटमारों की
वे मेरे साथ यूँ बनी रही
हुई धूप प्रचंड स्थितियों की
तो कादम्बिनी सी तनी रहीं
इतना सामर्थ्य कहाँ होगा
जो उनके दिए का दाम भरूँ
कर सकती हूँ तो मात्रा यही
जो-भावभूमि उन्होंने दी
उस पर अंकित ये शब्द-चित्र
मैं नत हो उनके नाम करूँ

सरस्वती प्रसाद के इस संग्रह में सुमित्रानंदन पंत द्वारा लिखित वह कविता भी शामिल है जिसे पंत ने बेटी सरस्वती के प्रयाग आगमन पर लिखी थी। इस संकलन में पंत की हस्तलिपि में वह कविता अंकित है-

चन्द्रकिरण किरीटिनी
तुम, कौन आती ?
मौन स्वप्नों के चरण धर!
ह्रदय के एकांत शांत
स्फटिक क्षणों को
स्वर्ग के संगीत से भर!
मचल उठता ज्वार,
शोभा सिन्धु में जग,
नाचता आनंद पागल
शिखर लहरों पर
थिरकते प्रेरणा पग!
सप्त हीरक रश्मि दीपित
मर्म में चैतन्य का
खुलता गवाक्ष रहस्य भर कर!
अमर वीणाए निरंतर
गूंज उठती , गूंज उठती
भाव निह्स्वर ---
तारको का हो खुला स्वप्नाभ अम्बर!
वैश्व लय में बाँध जीवन को
छिपाता मुख पराशर,
मर्त्य से उठ स्वर्ग तक
प्रसाद जीवन का अनश्वर
रूप के भरता दिगंतर!
चन्द्रकिरण किरीटिनी
तुम, कौन आती ?
मौन स्वप्नों के चरण धर!

(संग्रह में सम्मिलित पंत की हस्तलिपि में लिखी कविता की चित्रात्मक झलक)

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5 पुस्तकप्रेमियों का कहना है कि :

संगीता स्वरुप ( गीत ) का कहना है कि -

मति चल न सकी बटमारों की
वे मेरे साथ यूँ बनी रही
हुई धूप प्रचंड स्थितियों की
तो कादम्बिनी सी तनी रहीं

Sushri Sarswati ji ki anupam kriti....saubhagy mera jo mujhe padhane ka avsar mila.....bahut bahut badhai

gazalkbahane का कहना है कि -

समीक्षाओं की शुरूआत कर युग्म युवा होने लगा है

डॉ. जेन्नी शबनम का कहना है कि -
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डॉ. जेन्नी शबनम का कहना है कि -

rashmi ji,
atyant prasannata hui sarswati ji ki kavita padhkar, aur pant ji ki hastlipi mein kavita ko dekhkar aur padhkar.
hamari shubhkamnayen aap dono keliye.

Anonymous का कहना है कि -

sarswati ji ko hamari taraf se bhi shubhkamnayen.

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