प्रेमचंद सहजवाला हिन्दी के अतिवरिष्ठ और अतिसक्रिय कार्यकर्ता हैं। दिल्ली शहर की साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की रिपोर्टिंग इन्होंने किसी युवा पत्रकार से भी बढ़कर की। प्रेमचंद सहजवाला एक सफल कहानीकार रह चुके हैं। विगत 4-5 वर्षों से ग़ज़ल-लेखन कर रहे हैं।
सहजवाला की भारतीय सामाज और इतिहास में गहरी रुचि है। प्रेम को भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दो महारथियों महात्मा गाँधी और भगत सिंह ने बहुत प्रभावित किया, इसलिए पिछले 3 वर्ष से इन दोनों को खूब पढ़ा और इन दोनों पर प्रकाशित पुस्तकों को खंगाला। इसी दौरान इन्होंने पाया कि बाज़ार में भगत सिंह के समग्र व्यक्तित्व और गाँधी के साथ उनके मतांतर पर हिन्दी भाषा की सरल शैली में प्रमाणित और स्तरीय पुस्तकें बहुत कम संख्या में उपलब्ध हैं। अतः प्रेमचंद ने सरल हिन्दी भाषा में 13 निबंधों की शक्ल देकर एक पुस्तक लिखी 'भगत सिंहः इतिहास के कुछ और पन्ने'।
इस पुस्तक के कुछ अंश बहुत पहले हिन्द-युग्म पर सिलसिलेवार ढंग से प्रकाशित हैं। इस पुस्तक का विमोचन 12 दिसम्बर 2009 को महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय ने किया और कहा कि प्रेमचंद ने भगत सिंह से सम्बंधित बहुत सी जानकारियों को कम पृष्ठों में समेटकर बहुत नेक काम किया है।
हमारे ख्याल से यह एक संग्रहणीय पुस्तक है। आप भी इसे अपने पठन का हिस्सा बनायें।
मुद्रित मूल्य- रु 150
छूट के बाद- रु 120
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
पुस्तक पर प्रतिक्रिया देने वाले पहले पाठक बनें--
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)